तारीफ तेरी, और क्या करें हम
तारीफ तेरी और, क्या हम करें।
कैसे तुम्हारा दिल, खुश हम करें।।
तुम्हारे सिवा हमको, नहीं है पसंद और।
तारीफ तेरी और——————।।
यूँ तो हजारों फूल, गुलशन में हैं।
रोशन चिराग यहाँ, और भी है।।
मगर इतने हसीन ये, लगते नहीं।
होता नहीं है दिल, खुश और से।।
तारीफ तेरी और—————–।।
सूरत तुम्हारी यहाँ, माहताब सी।
रोशन हो तुम, यहाँ आफ़ताब सी।।
महकते हैं फूल, जब तुम हंसती हो।
नूर जहां में तेरे जैसा और नहीं।।
तारीफ तेरी और——————-।।
सरुर जो, तुम्हारी नज़रों में है।
नहीं ऐसी खूबी, औरों में है।।
मेरे दिल का ख्वाब, तुम ही हो।
तुम्हारे सिवा मोहब्बत, और से नहीं।।
तारीफ तेरी और——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)