*ताबीज बना रक्षक*(कहानी)
ताबीज बना रक्षक(कहानी)
कहा जाता है, कि जाकै राखै साइयां मार सके ना कोय, बाल न बांका कर सके जो जग भारी होय अर्थात जिसका ईश्वर रक्षक होता है उसे कोई मार नहीं सकता, कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता अर्थात हम यह कह सकते हैं, कि जब तक ईश्वर की मर्जी नहीं होगी या ईश्वर नहीं चाहेगा तब तक उसके साथ कुछ भी अनहोनी नहीं हो सकती।
एक बार की बात है। एक बहुत अमीर व्यक्ति था उसके पास ईश्वर का दिया हुआ सब कुछ था। पर उसके पास कोई संतान नहीं थी। वह हर समय पुत्र प्राप्ति की कामना करता रहता था। पर उसके कोई भी संतान नहीं हुई। समय बीतता गया और उस व्यक्ति के घर सौभाग्य से एक कन्या का जन्म हुआ। जब उस व्यक्ति को इस बात का पता चला कि, उसके यहांँ एक कन्या का जन्म हुआ है, तो वह बहुत अफसोस करने लगा और सोचने लगा कि मैंने तो पुत्र प्राप्ति की इच्छा की थी, मगर यह पुत्री कैसे पैदा हो गई? वह दिन रात इसी बात से चिंतित रहने लगा कि उसके बाद उसकी जमीन जायदाद और संपत्ति का क्या होगा?
भारतीय समाज में एक भावना प्रचलित है, कि जब लड़का पैदा होता है, तो उसके लिए बहुत खुशियांँ मनाई जाती हैं और तरह-तरह के अनुष्ठान कराए जाते हैं। मगर जब पुत्री पैदा होती है, तो शोक सभा जैसी स्थिति घर पर छा जाती है। धीरे-धीरे शिक्षा के स्तर में सुधार होने के कारण यह प्रथा गायब होने लगी है। लेकिन प्राचीन समाज में ऐसा ही होता था।
धीरे-धीरे समय बीतता गया और उस अमीर व्यक्ति की कन्या भी धीरे-धीरे बड़ी होने लगी। उसका पिता उससे बिल्कुल भी बोलना पसंद नहीं करता था। लड़की बार-बार उसे पापा कहकर उसके पास जाती, मगर पापा वहांँ से उठकर बिना उससे कुछ बोले, कहीं अलग चला जाता। लड़की की मांँ ने भी उसके पिता को बहुत समझाया कि इसमें लड़की का क्या कसूर है, जो हमारे बेटा नहीं हुआ। पत्नी की बात सुनकर उस अमीर जादे ने कुछ नहीं कहा और अपने मन में उस लड़की के बारे वह तरह-तरह की नकारात्मक बातें सोचने लगा। धीरे-धीरे लड़की और बड़ी हुई। उसकी समझदारी और सुंदरता की चारों ओर चर्चा होने लगी। मगर बाप को वह लड़की बिल्कुल भी नहीं भाती थी। लड़की का पिता इस बात को लेकर भी बहुत चिंतित था, कि जब इस लड़की की शादी होगी तो दहेज में सब कुछ चला जाएगा। लड़की की मांँ उसे बहुत प्यार करती थी और उसने अपनी पुत्री के लिए नजर से बचने के लिए एक ताबीज बनवाया जो लोहे तथा काले धागे से बना हुआ था। लड़की के गले में वह बहुत अच्छा लग रहा था। हर कोई उस ताबीज को उसके गले में देखकर उसकी सुन्दरता की प्रशंसा करता था। यह ताबीज मजबूत लोहे का गोलाकार लगभग दो सिक्के के बराबर था। यह ताबीज लड़की की सुंदरता में चार चांद लगा रहा था। ताबीज को पहनने के बाद यह लड़की और भी ज्यादा सुंदर लग रही थी। साथ ही वह लड़की बहुत समझदार भी थी और हर कार्य को बहुत सोच समझ कर किया करती थी। सभी उसे प्यार करते थे मगर उसका पिता ही इस लड़की को नहीं चाहता था। वह दिन- रात उसके बारे में ही सोचता रहता था कि आखिर इससे पीछा कैसे छूटे?
लड़की हर प्रकार से अपने पिता से बात करना चाहती थी, मगर उसकी मानसिक संकीर्णता ने उसे ऐसा बना दिया था कि उसे लड़की के नाम तक से नफरत होने लगी थी।
समय धीरे-धीरे गुजरता गया मगर बाप बेटी का रिश्ता नफरत में ही तबदील रहा।
समय गुजरता गया। एक दिन पिता अपनी हवेली में बैठा हुआ था। अचानक वह लड़की अपने पिता के पास आकर कहने लगी, “कि मुझे कुछ पैसों की जरूरत है, पैसे दीजिए पिताजी।”यह सुनकर उसका खून खौल गया और इतनी ही बात पर पास टंगी रिवॉल्वर निकाल कर बिना सोचे समझे कि आगे क्या होगा तुरंत उसका खटका (घोड़ा) दबा दिया। वह उस प्यारी सुंदर लड़की को मारना चाहता था, जिसका न कोई अपराध था और न कोई गुनाह। जैसे ही उसने रिवाल्वर की नाल सामने करके उसका घोड़ा दबाया था, उसकी गोली निकलकर लड़की के गले में टंगे ताबीज के लॉकेट में लगी और वह वापस हो गई और लड़की बिल्कुल ठीक-ठाक बच गई। यह देखकर लड़की की आंँखों से आंँसू की धारा बहने लगी और वह रोते हुए अपने पिता से कहने लगी कि पिताजी अगर आप मुझे पसंद नहीं करते तो मैं खुद मर जाऊंगी आप अपने हाथों से रिवाल्वर का खटका दबाने का कष्ट क्यों कर रहे हैं? यह सुनकर पिता स्तब्ध रह गया कि जिस लड़की के साथ मैं ऐसा कर रहा था वह जबाब देने के बजाय सब कुछ सहती रही।यह सोच कर पिता की आंँखों में आंँसू आ गए और उसने अपनी पुत्री को गले लगा लिया। और अपने किये पर पछतावा करके रोने लगा कि वास्तव में जिसका ईश्वर रक्षक होता है, उसे कोई नहीं मार सकता, फिर मेरी तो औकात ही क्या है। पिता अपने किये पर बार बार पश्चाताप करने लगा और कहने लगा जब से इस लड़की ने जन्म लिया है,तब से मैंने इसे गलत ही समझा है, और मैंने हमेशा इसे कष्ट ही दिया है। यह कहते हुए पिता की आंँखों से आंँसुओं की धारा बहती हुई सभी को दिखाई देने लगी और वहांँ खड़े सभी परिवार वाले और अन्य लोग यह दृश्य देखकर खुशी से झूम उठे और सब एक साथ कहने लगे, “कि आज लड़की को उसका वास्तविक हक मिल गया है।”