Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2024 · 2 min read

*ताना कंटक एक समान*

विद्या स्वछंद काव्य
लेखक डॉ अरूण कुमार शास्त्री
9968073528 वाट्स अप

ताना देते हो और मुस्कुराते हो । कसम से तुम तो कांटा चुभाते हो ।
मैं कहता सरलतम शब्दों में बात अपनी , तुम तो बहुत खूबसूरत
प्रस्तुति से इसका अर्थ ही भिन्न भिन्न – क्यूँ लगाते हो ।

न नाज़ करते न तारीफ़ करते न तालियां बजाते हो ।
दूर खड़े हो दूर दूर से आंखों आंखों में मुस्कुराते हो।

बड़ा मुश्किल है आभास करना दिखता कुछ होता कुछ ।
अपने ही हिसाब से सब ऐसी स्थिति में कयास अपने अपने लगाते हैं

ताना देते हो और मुस्कुराते हो । कसम से तुम तो कांटा चुभाते हो ।

दर्द दंश का सहने की आदत हमें हो गई है।
व्यर्थ ही अब समझ लेना इस प्रकार दिखावे के
प्रयासों के द्वारा समय अपना गंवाते हो ।

धनात्मक सोच है हमारी और संस्कृति भी ये जान लीजिए।
दे दे के ताना आप तो बेकार अब कड़वा पान चबाते हो ।

एक सलाह है मुफ़्त में मान्यवर इस अरूण की ।
सीधे – सीधे जी हां सीधे – सीधे बोला करो अटकलें क्यों लगाते हो।

चलो छोड़ो ताना और कंटक की बातें।
भूल जाते हैं सब दोष दुश्वार की बातें।

गले लगा लें इक दूसरे को इस नवरात्र में।
मां शारदे के चरणों में शीश हम झुकाते हैं।

ताना देते हो और मुस्कुराते हो । कसम से तुम तो कांटा चुभाते हो ।
मैं कहता सरलतम शब्दों में बात अपनी , तुम तो बहुत खूबसूरत
प्रस्तुति से इसका अर्थ ही भिन्न भिन्न – क्यूँ लगाते हो ।

न नाज़ करते न तारीफ़ करते न तालियां बजाते हो ।
दूर खड़े हो दूर दूर से आंखों आंखों में मुस्कुराते हो।

94 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all
You may also like:
The Journey of this heartbeat.
The Journey of this heartbeat.
Manisha Manjari
"मेरे गीत"
Dr. Kishan tandon kranti
हम हिंदुओ का ही हदय
हम हिंदुओ का ही हदय
ओनिका सेतिया 'अनु '
काफिला
काफिला
Amrita Shukla
शीर्षक – कुछ भी
शीर्षक – कुछ भी
Sonam Puneet Dubey
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*बिरहा की रात*
*बिरहा की रात*
Pushpraj Anant
पत्थर दिल का एतबार न कीजिए
पत्थर दिल का एतबार न कीजिए
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
वो ख्वाबों ख्यालों में मिलने लगे हैं।
वो ख्वाबों ख्यालों में मिलने लगे हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
"फितरत"
Ekta chitrangini
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
Ashwini sharma
तेरा मेरा साथ
तेरा मेरा साथ
Kanchan verma
सदा बढ़ता है,वह 'नायक' अमल बन ताज ठुकराता।
सदा बढ़ता है,वह 'नायक' अमल बन ताज ठुकराता।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
😊कुकडू-कुकडू😊
😊कुकडू-कुकडू😊
*प्रणय*
हार गए तो क्या हुआ?
हार गए तो क्या हुआ?
Praveen Bhardwaj
24/237. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/237. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सबसे प्यारा माॅ॑ का ऑ॑चल
सबसे प्यारा माॅ॑ का ऑ॑चल
VINOD CHAUHAN
आज के वक्त में भागकर या लड़कर शादी करना  कोई मुश्किल या  बहा
आज के वक्त में भागकर या लड़कर शादी करना कोई मुश्किल या बहा
पूर्वार्थ
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
शेखर सिंह
मित्र होना चाहिए
मित्र होना चाहिए
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
*आया जाने कौन-सा, लेकर नाम बुखार (कुंडलिया)*
*आया जाने कौन-सा, लेकर नाम बुखार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
छंद मुक्त कविता : बचपन
छंद मुक्त कविता : बचपन
Sushila joshi
*हर किसी के हाथ में अब आंच है*
*हर किसी के हाथ में अब आंच है*
sudhir kumar
गुमनाम ज़िन्दगी
गुमनाम ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
पीता नहीं मगर मुझे आदत अजीब है,
पीता नहीं मगर मुझे आदत अजीब है,
Kalamkash
वाक़िफ़ नहीं है कोई
वाक़िफ़ नहीं है कोई
Dr fauzia Naseem shad
दो नयनों की रार का,
दो नयनों की रार का,
sushil sarna
तुम जो हमको छोड़ चले,
तुम जो हमको छोड़ चले,
कृष्णकांत गुर्जर
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो, तू भी अंधभक्त है
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो, तू भी अंधभक्त है
gurudeenverma198
Loading...