ताटंक छंद
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ताटंक छंद
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विश्व गुरू था देश हमारा, फिर परचम लहरायेगा ।
अपना खोया वैभव जग में, देश पुनः फिर पायेगा ।।
छुआछूत का भाव हृदय से, दूर हमें करना होगा ।
भारतवासी हैं सब भाई, भाव हृदय भरना होगा ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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