तस्वीर
जब कभी तस्वीरों को देखता हूं
तो ऐसा लगता है कि जैसे
वक़्त वापस अतीत में पहुच गया है, और
ये बेजुबान तस्वीर कुछ कहने लगती है
हां मैं उसकी आवाज सुन सकता हु
हां मैं सुन रहा हु उसकी आवाज
कुछ हँसते मजाक करते नजारो को
बयां कर रही है,मैं उससे कहता हूं ऐसे ही बोलती रहो,
तू बोलती जा यह एक
बहुत कीमती लम्हा था यह लम्हा दोस्तो के साथ बिताए पल है
मुझे याद है
तभी तस्वीर मेरा उपहास करती है
ये सिर्फ यादें है पागल …….
ये बात कल की हैं……..
ये सिर्फ यादें है पागल …….
तो क्या सच मे अब ये लोग मेरे साथ नही है क्या इन्हें भी कभी मेरी याद आती होगी ये भी कभी मुझे याद करते होंगे……
और तस्वीर कहती है, मुझे नही पता,और इतना कहकर खामोश हो जाती है ।
और मैं खुद को अपने वर्तमान में पाता हूँ।