तस्वीरी ख्याल
तस्वीरी खयाल
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नही आये न आयेंगे कभी वापस पुराने दिन
बहन में चाह भाई की लगें कितने सुहाने दिन
निवाला हाथ से उसने खिलाये याद आते है
सताते है रुलाते है हमें सच में पुराने दिन
गरीबी देखती चाहत अमीरी देख ना पाये
हुये अपने पराये क्यों बने पत्थर हमारे दिल
कसक दिल में उठे हर रोज दिखे जो रोड पर भूखा
नही ये देख पाते है पसीजे फिर हमारा दिल
रहे इंतजार हर दिन ही मिले खुशियाँ इन्हें हर इक
लिये संग साथ में अपने खिले इनके सुहाने दिन
मिले बस प्यार जीवन में नही है चाह दौलत की
लूट दें हर ख़ुशी अपनी मिले गर फिर पुराने दिन
संगीता शर्मा
8/4/2017