तलाक
तलाक़
मनीषा दो महीने पहले सिद्धांत को तलाक़ देकर वापिस बैंगलोर से घर आ गई थी । माँ पापा यही चाहते थे और उसके पास कोई उपाय भी नहीं था । दो साल की शादी में सिद्धांत संभोग करने में असफल रहा था । यूँ तो साउथ दिल्ली की उनकी कौलनी में इससे किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था , फिर भी दबी दबी कानाफूसी हो रही थी कि वे दोनों माँ बेटी बहुत डामीनेटिंग नेचर की हैं, और इस तरह की तेज तरार लड़कियाँ शादी में एडजस्ट नहीं कर पातीं । वे तीनों, ममी, पापा और मनीषा इस बारे में चुप थे, किसी को बताएँ तो क्या बताएँ, चर्चा का विषय बनने से अच्छा है, आगे का रास्ता ढूँढा जाए, पुनर्विवाह के लिए लड़का ढूँढा जाए , और इस विषय में अधिक महत्वाकांक्षी न हुआ जाए । माँ शादी डाट काम पर तलाकशुदा लड़के देख रही थी । मनीषा बतीस की थी, चालीसा तक का तलाकशुदा लड़का, जो पढ़ा लिखा हो , ढंग का कमा लेता हो, काफ़ी था। मनीषा की बच्चे पैदा करने की आयु तेज़ी से निकल जाने का भय था , और मम्मी को भय था कि कहीं वे बिना अगली पीढ़ी के न रह जाए ।
मनीषा भी अचानक , अपनी उम्र से बड़ी दिखने लगी थी। घर से आफ़िस और आफ़िस से घर तक की दुनिया में वह सिमट कर रह गई थी । जिम जाने का मन नहीं करता था , दोस्त भी सिर्फ़ इंसटागराम और फ़ेसबुक पर ही मिलते थे । वह हैरान थी , इस घर में उसने पूरे तीस साल कितनी खुशहाल, दोस्तों से भरी ज़िंदगी जी है, परन्तु पिछले दो सालों में न जाने क्या हो गया है, कोई शादी करके चला गया है, कोई नौकरी के लिए । ज़िंदगी का यह बदलता रूप उसके युवा मस्तिष्क को अक्सर उदास कर जाता , और वह सोचती , उसीके साथ यह क्यों हुआ, सिद्धांत ने उसे धोखा क्यों दिया ?
उस दिन वह इंसतागराम पर स्क्रोल कर रही थी तो अचानक उसे अपनी सहेली सिया की अपने मंगेतर के साथ फ़ोटो शूट की बहुत सी तस्वीरें दिखी , और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई । सिया की शादी जिम कारबेट नेशनल पार्क में एक सप्ताह बाद थी , उसके पास निमंत्रण था, उसने जाने का मन बना लिया । माँ पापा भी यह सुनकर खुश हो गए कि वह अपने इस भारी भरकम उदास माहौल से बाहर निकल रही है।
शादी में सौ से अधिक लोग नहीं थे । बहुत ही अपना सा माहौल था । मनीषा ने देखा, सिया का भाई नकुल बार बार उससे बात करने की कोशिश कर रह है, वह जहां जाती है, उसकी आँखें उसका पीछा करती हैं, ऐसे एकटक देखता है, जैसे और किसी चीज़ का अस्तित्व ही न हो । कल क्रिकेट खेल रहा था , अचानक मनीषा आ गई तो उसकी नज़र वहाँ से हटी नहीं , वह बैटिंग करते हुए गेंद को देख ही नहीं पा रहा था , आउट हो गया तो सब लोग मुस्कानें लगे । मनीषा का पोर पोर खिल उठा। बचपन में हर शाम अड़ोस पड़ोस के सारे बच्चे सिया के घर , बड़े से लान में खेलने के लिए इकट्ठे होते थे , वहाँ नकुल भी होता , वह सब बच्चों से वहाँ बड़ा था, इसलिए सबका लीडर था , उन्होंने एक ड्रामा क्लब खोल रखा था, जिसका प्रेज़िडेंट नकुल था, हर नाटक में वह हीरो होता और हीरोइन मनीषा को बनाता । वे बचपन के बड़े सुहाने दिन थे । नकुल आठवीं में आया तो उसके पिता ने उसे दून स्कूल में पढ़ने के लिए हास्टल भेज दिया । फिर वह सिर्फ़ छुट्टियों में आता । मनीषा भी बड़ी हो गई, और सिया के घर शाम को खेलने का सिलसिला बंद हो गया । सबके रास्ते बदलते रहे और ज़िन्दगियाँ भी । इतने साल बाद फिर से नकुल को देखकर उसे फिर से वह सब याद आ गया ।
रात अभी बाक़ी थी , सुबह होनी शेष थी , सिया की विदाई हो चुकी थी, सब लोग अपने अपने कमरों में जा चुके थे । मनीषा तारों के नीचे यूँ ही विचारहीन तंद्रा में लान पर बैठी थी कि उसने देखा नकुल उसके साथ आकर बैठ गया है। उसका चेहरा खिल उठा ॥
“ नींद नहीं आ रही ? “ नकुल ने पूछा ।
“ आ रही है, पर सोने का दिल नहीं कर रहा । “
“ क्यों ? “
मनीषा को समझ नहीं आया क्या कहे, कैसे कह दें कि उसे कमरे की उदासी से डर लगता है ।
“ फिर यह हंसी रात हो न हो … “ कहकर वह हंस दी ।
नकुल उसे दो पल के लिए देखता रहा , फिर बोला, “ सिया कह रही थी तुम्हारा तलाक़ हो गया है ! “
सुनकर एक पल के लिए उसे लगा , वह नकुल की छाती में सिर गढ़ाकर ज़ोर ज़ोर से रोये, कहे उससे कि कितना बढ़ा धोखा हुआ है उसके साथ, सिद्धांत नपुंसक था, फिर भी उसने उसके साथ शादी करके उसकी ज़िंदगी बरबाद कर दी । परन्तु उसने अपने को साधते हुए कह, “ हां, दो महीने से ज़्यादा समय हो गया है । “
नकुल थोड़ी देर चुपचाप बैठा रहा , फिर पूछा , “ क्या समस्या थी ? “
मनीषा क्या जवाब दे , वह जानती है नकुल उसे चाहता है, आज से नहीं , शायद सदा से , तब से जब उसे इस चाहने का अर्थ भी नहीं पता था, फिर वह कैसे उससे झूठ बोल दे, और क्यों बोले, उसने जब कुछ ग़लत नहीं किया तो वह क्यों डरे ! उसने नकुल की आँखों में देखते हुए कहा, “ वह सैक्स नहीं कर सकता था । “
“ हूँ.. “ नकुल ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा , “ और तुमने तलाक़ ले लिया?”
“ और क्या करती , मेरे पैरेंट्स दबाव डाल रहे थे । उसका बिहेवियर बहुत ख़राब था, रात रात भर घर से ग़ायब रहता था , मुझसे सीधे मुँह बात नहीं करता था, मेरे माँ बाप को गालियाँ देता था, पैसे बिल्कुल खर्च नहीं करता था , मैं बहुत परेशान हो गई थी , मेरा वजन कम हो रहा था, उसने एक बार भी नहीं पूछा मैंने खाना खाया या नही ।”
“ शुरू से ऐसा था ? “
“ नहीं , शादी के दो महीने तक ध्यान रखता था ।”
कुछ पल रूक कर नकुल ने कहा, “ तुम्हें पता है मनीषा भारत में चार में से एक लड़का आज इस समस्या का शिकार है ।”
“ क्या कह रहे हो , मम्मी कह रही थी , लाखों में से कोई एक ऐसा होता है । “
नकुल मुस्करा दिया, यही तो हमारी मुश्किल है, इतनी बड़ी महामारी है यह, और हम इसकी चर्चा करने की बजाय इसको दबा कर बैठे हैं ।”
“ पर क्यों , क्या हमेशा से ऐसा था ?”
“ यह मनोवैज्ञानिक कारणों से होता है, तो होगा तो हमेशा से , पर अब , लाइफ़ स्टाइल के कारण, और लड़के लड़कियों के बदलते रिश्तों के कारण बढ़ गया है । वकील की बजाय तुम थिरापिसट के पास जाती तो कुछ ही सप्ताह में सब ठीक हो जाता । “
“ तुम कैसे जानते हो यह सब ?”
नकुल मुस्करा दिया, “ मैं गुजर चुका हूँ इस सबसे ।”
“ तो तुम्हारा भी तलाक़ हो चुका है । “
“ नहीं , शादी होने से पहले ही टूट गई ।”
“ ओह , बहुत अफ़सोस हुआ सुनकर । “
“ उसकी कोई ज़रूरत नहीं , मैं खुश हूँ । “
बहुत देर तक वे दोनों चुपचाप बैठे रहे , फिर नकुल ने कहा, “ मैं तुम्हारे पास यह कहने आया था कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ , पर अब चाहता हूँ तुम सिद्धांत के पास वापिस चली जाओ , तुम दोनों की ज़िंदगियाँ वापिस पटरी पर आ जायेगी, तुम शादीशुदा हो । “
“ मेरा तलाक़ हो चुका है । “
“ तलाक़ शादी से बड़ा नहीं होता । तुम्हें उसे संभालना चाहिए था, हमारी पीढ़ी की औरत पहली बार पुरूष से कह रही है , वह सक्षम है, वह घर के कामों से लेकर बाहर के कामों में पुरूष को पीछे छोड़ रही है , वह बच्चे पैदा करने का चुनाव कर रही है, ऐसे में पुरूष का स्थान सिकुड़ता जा रहा है , वह नहीं जानता उसकी ठीक स्थिति क्या है !”
मनीषा ने एक पल के लिए नकुल को देखा , और फिर अपने विचारों में खो गई ।
“ फिर आजकल की जाब्स भी ऐसी हैं , “ नकुल ने फिर कहा, “ काम के लंबे घंटे , घंटों बैठे रहो, बाहर का कचरा खाना , देर रात तक जागना, जब प्रकृति से टूट रहे हैं , तो हमारे भीतर जो प्राकृतिक है वह टूट रहा है। इस सदी की युवती के लिए समय पर माँ बन सकना एक चैलेंज है तो युवक के लिए सैक्स कर सकना । “
नकुल खड़ा हो गया, और हाथ पकड़कर मनीषा को भी उठा दिया, “ इसलिए जाओ और दोनों मिलकर अपनी मुश्किलें दूर करो। वही करो जो प्राकृतिक है, स्वाभाविक है , वही मर्यादित है, वही शुभ है ।”
नकुल चला गया तो वह वहीं चहल कदमा करने लगी, नींद उड़ चुकी थी , वह जान चुकी थी सिद्धांत ने उसे धोखा नहीं दिया था और उसे भी अपने भीतर की सदियों से दबी कुचली औरत को निकाल स्वाभाविक होना था, अपनी इच्छाओं का सम्मान करना सीखना था । सूर्योदय की ताज़ा किरणें उसे छू रही थी , पक्षी घोंसलों से निकल आकाश पर छाने लगे थे , थोड़ी दूर उसे हिरणों का झुंड दिखाई दिया , उसके मन की पर्तें इस सौंदर्य में घुलने लगी , एक अदम्य साहस की ऊर्जा से रोमांचित हो उसका तन मन खिल उठा ।
— शशि महाजन