तरु वे छायादार
सिर पर रखकर हाथ जो, देते रहे दुलार।
गायब आँगन से हुए, तरु वे छायादार।।
माँ दादी बनकर दिया, मुझे जिन्होंने प्यार।
ओझल आँगन से हुए, तरु वे छायादार।।
रमेश शर्मा
सिर पर रखकर हाथ जो, देते रहे दुलार।
गायब आँगन से हुए, तरु वे छायादार।।
माँ दादी बनकर दिया, मुझे जिन्होंने प्यार।
ओझल आँगन से हुए, तरु वे छायादार।।
रमेश शर्मा