तरुवर
आधार छंद- लावणी(मापनी युक्त, मात्रिक)
विधान-30 मात्रा,16,14 पर यति, अंत में वाचिक गा
लावणी-(30)=चौपाई (16)+मानव +(14)गा
ध्रुव शब्द-तरूवर
*****************************************
वृक्ष धरा का गहना होता, आओ उनसे प्यार करो।
प्राणवायु देते हैं तरुवर, मत उनका संहार करो।
एक वृक्ष सौ पुत्र समाना, याद सदा यह मंत्र रहे-
पेड़ लगाकर वसुंधरा पर, खुद पर ही उपकार करो।
शोक रहित निश्छल मन भगवन, पाप रहित काया देना।
ऊँच-नीच का भेद न कोई, सबके प्रति माया देना।
जीवन भर का साथ तुम्हारा, और नहीं कुछ माँग रहा-
जब भी आए धूप कहीं से, तरुवर सम छाया देना।
*********************************************
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464