तमन्ना
तेरी नफ़रतें अब मुझे रास आने लगी हैं,
दूर भी रहे ,तेरी हसरतें पास आने लगी है!!
तेरी शि्कायतों से आज भी आज़िज़ नही,
कुछ बेवज़ह, मगर कुछ खास आने लगीहै!!
—२—
है तमन्ना तुम्हें निहारते यह ज़िन्दगी गुज़ार दूं,
जो तुम्हे कोई न दे सका, मैं तुम्हे वो प्यार दूं!
सच्चाईयों से इस ज़िन्दगी की ,नावाकिफ़ है तू,
प्यार का बुखार जो चढा है तुझॆ, उसे उतार दूं!!
आज इशक भी सरे आम नीलाम हो रहा है ,
जो दाम नही हो खरीदने को, तो मैं उधार दू !!
नौजवानों से क्या पूछते हो प्यार का फ़ल्सफ़ा,
जो कोई ना हो सके तेरा,फ़िर भी उसे प्यार दू!!
—-३—–
फ़िज़ा पर असर हवाओं का होता है .
मोहब्बत पर असर अदाओं का होता है!
कोई ऐसे ही किसी का दीवाना नही होता,
कुछ कुसूर तो निगाहो का होता है !!
—४——
तेरे प्यार ने ऐसा ढाया कहर,
याद करता हूं शाम-ओ-सहर!!
इन्तज़ार रहता हैतेरे दीदार का,
निगाहें ढूंढती हैं तुझे हर प्रहर!!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिक्न्दरा आगरा २८२००७
९४१२४४३०९३