तबियत
तबियत में ही जिसके गुस्ताखियां हो ,
वोह गुनाहों से तौबा कैसे करे ।
मजहब की आड़ में करते हैं कत्ल ए आम ,
उनसे वफ़ा की उम्मीद कोई कैसे करे ?
तबियत में ही जिसके गुस्ताखियां हो ,
वोह गुनाहों से तौबा कैसे करे ।
मजहब की आड़ में करते हैं कत्ल ए आम ,
उनसे वफ़ा की उम्मीद कोई कैसे करे ?