तन की शादी मन की शादी
तन की शादी , मन की शादी
दो अलग – अलग सरहदें
दो अलग – अलग ज़मीनें
जब जीवन के नक्शे पे अपनी
लकीरें मिटाकर ” एक हों ”
तो
तन की शादी , मन की शादी
एक बादल का टुकड़ा आए
प्रेम बौछारें भर – भर लाए
पूरे आसमान पर छाकर
पूरी धरती गीली कर जाए
तो
मन की शादी , तन की शादी
कसम तोड़ दे कोई अपनी
रसम छोड़ दे कोई अपनी
“अपना – आप ” भुला दें ” दो जब ”
तो
तन की शादी , मन की शादी
दो नामों का एक शक्स — या
एक नाम की दो जानें ( ज़िन्दगियाँ ) हों
ऐसा कुछ हो , कोई ना समझे
तो
तन की शादी , मन की शादी
” एक जले ” पर “बुझते दो हों ”
एक आग में
एक प्यास में
” दोनों प्यासे ” , ” दोनों पाते ”
तो
मन की शादी , तन की शादी
तन की शादी , मन की शादी ।।।।
सीमा वर्मा