तन्हाई
मेरी तन्हाई ,मुझ पर ही हंसती है
गम ए परछाई, रोज संवरती है
‘जख्म ए दिल’ का क्या कहें ‘देव’
बेवफाई की तो हर रोज,नयी महफिल सजती है
मेरी तन्हाई ,मुझ पर ही हंसती है
गम ए परछाई, रोज संवरती है
‘जख्म ए दिल’ का क्या कहें ‘देव’
बेवफाई की तो हर रोज,नयी महफिल सजती है