आशिकी (ग़ज़ल)
यार की जिंदगी में कमी रह गई
नाम के बस यहां दोस्ती रह गई
बज़्म तो हुस्न वालों ने यूं लूट ली
और तनहा तेरी सादगी रह गई
खो गई आशिकी कौन सा मोड़ पे
ये नज़र उनको ही ढूंढती रह गई
चल दिए सामने से न देखा मुझे
मैं वही पे खड़ी की खड़ी रह गई
साथ दुष्यंत तेरा न मुझको मिला
क्या मेरी आशिकी में कमी रह गई
✍️ दुष्यंत कुमार पटेल