तनहाई की शाम
उसकी तस्वीरें दरिया में
मैं बहा क्यों नहीं पाया
उसकी चिट्ठियों में आग
मैं लगा क्यों नहीं पाया…
(१)
जिसने मेरी सारी यादें
एक झटके में मिटा दीं
आख़िर उसे अभी तक
मैं भुला क्यों नहीं पाया…
(२)
तेरे प्यार की दुनिया से
बहुत दूर जा चुकी वह
दिल को इतना यक़ीन
मैं दिला क्यों नहीं पाया…
(३)
यह शाम की तनहाई तो
मासूमियों की क़ातिल है
अपनी कहीं एक महफ़िल
मैं सजा क्यों नहीं पाया…
(४)
अपने फ़ैसले पर उसको
अफ़सोस हो जीवन भर
अपने आपको इस लायक़
मैं बना क्यों नहीं पाया…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#तड़प #गीत #तनहाई #पहला #प्यार
#रोमांटिक #दर्द #love #कवि #महबूब
#bollywood #शायरी #गीतकार #जुदाई
#lyricist #lyrics #romantic #poet
#letters #memory #मायूस #नाकाम