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22 May 2024 · 1 min read

“” *तथता* “” ( महात्मा बुद्ध )

“” तथता “”
( महात्मा बुद्ध )
*************

“,तस्वीर
प्रभु की,
हो अगर तुम्हें देखनी !
तो, देखलें मन अंदर झाँकके,
क्यूँ बाहर भटकते घूमते फिरते हो…,
अरे ज्ञानी वह तो बैठा भीतर ही तेरे !! 1!!

“,थका-मांदा
पथिक रे,
ठहर रुक जरा यहाँ पे !
कहाँ तू भागा चला जा रहा,
पहले बात करले आत्माराम से…,
वह कबसे बैठा तेरी राह तक रहा!! 2 !!

ता “,तादात्म्य
बैठाए चल,
तू प्रभु संग अपने !
छोड़दे मोह-माया मिथ्या आडंबर,
क्यूँ मारा-मारा फिरता यहाँ पर….,
पहले जीवन भेद तत्त्व ज्ञान जान लें !! 3!!

तथता “, तथता
नहीं जड़ता,
बनें हम सभी तथागत !
चलें स्वयं को स्वयं से समझें,
बनें बुद्ध पुरुष ज्ञानी तथागत…,
और सम्यक भाव संग जीए चलें !! 4 !!

तथता “, तथता
है सत्यता,
करें नित आगत का स्वागत !
सदा रहते वर्तमान तत्क्षण में,
हम करते रहें खोज आनंद की…..,
यही संदेश दे गए बुद्ध तथागत !! 5 !!

¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥

सुनीलानंद
बुधवार,
22 मई, 2024
जयपुर,
राजस्थान |

Language: Hindi
89 Views
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