तड़फ रहा दिल हिज्र में तेरे
तड़फ रहा दिल हिज्र में तेरे
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तड़फ रहा दिल हिज्र में तेरे,
सपने देखूँ दिन- रात मै तेरे,
मन में जागे प्रेम के अंकुर,
उर् भावों का सत्कार करो।
बीत ना जाए चढी जवानी,
रूत आई प्यारी मस्तानी,
पुरी हो अफ़साना कहानी,
नाहक ना तुम इंकार करो।
उर………………………..
काश कभी मेरी हो जाओ,
यूँ कहीं हमें मिल जाओ,
घूंघट कर तुम ना शर्माओ,
पायल की आ झंकार करो।
उर………………………..
दर तेरे हूँ मै आन खड़ा,
घुटनो के बल हूँ द्वार पड़ा,
पहरा जहाँ पर बहुत कड़ा,
ले बांहों में गिरफ्तार करो।
उर………………………..
परियों सा सुंदर मुखड़ा है,
मुखड़ा चाँद का टुकड़ा है,
मुट्ठी मे दिल आ अटका है,
प्रेम निवेदन स्वीकार करो।
उर……………………….
काली घटाएँ नभ में छाई,
बेलों जैसी सघनी परछाई,
आगे कुआँ पीछे है खाई,
कुछ हम पर उपकार करो।
उर……………………….
चातक सा हूँ बहुत प्यासा,
पूर्ण कर दो अधूरी आशा,
मनसीरत की अभिलाषा,
मँझदार से बेड़ी पर करो।
उर……………………….
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली(कैथल)