तड़प कर मर रही हूं तुझे ही पाने के लिए
तड़प कर मर रही हूं,तुझे ही पाने के लिए,
आवाज तेरी काफी है,मुझे बचाने के लिए।
वो चुल्लू भर पानी में डूब क्यो नही जाते,
जो दिल जोड़ते है,केवल दिल लगाने के लिए।।
तुम्हे दिल दिया था केवल जोड़ने के लिए,
न कि शीशे की तरह उसे तोड़ने के लिए।
कर दिया है चकनाचूर मेरा दिल तुमने तो,
क्यों कोशिश करते हो उसे जोड़ने के लिए।।
तेरा दिलवर भी तड़प रहा है तुझे पाने के लिए,
वह भी प्यासा है,अपनी प्यास बुझाने के लिए।
चलो बसाते है नया आशियाना किसी जगह पर,
जहां कोई न आ सके हम को सताने के लिए।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम