तड़पती रही मैं सारी रात
तड़पती रही मैं सारी रात
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मेघा बरसते रहे सारी रात,
तड़पती रही मै सारी रात।
कोई तो आकर मुझे बताए,
कैसे काटू मैं ये अंधेरी रात।।
नभ में दमक रही ऐसे दामिनी
जैसे भटक रही कोई कामिनी।
डर लग रहा था मुझे देख कर,
समझाए मुझे कोई तो कामिनी।।
सावन है तो बरसात भी होगी,
साजन से मुलाकात भी होगी।
मत होवे बैचेन मुलाकात के लिए,
मुलाकात के साथ सुहागरात होगी।।
सावन की आज पहली बारिश है,
वो मिल जाए,बस ये गुजारिश है।
दोनो मिलकर भीगे इस बारिश में,
लगाई खुदा से मैने ये सिफारिश है।
जगाती है मुझे रात भर तेरी यादें,
बारिश में ढूंढती है तुझे मेरी यादें।
महफिल में खूब हंसती हूं मै दोस्तो
तन्हाई में रुला देती मुझे तेरी यादें।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम