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4 Mar 2024 · 1 min read

ढूँढ़ रहे शमशान यहाँ, मृतदेह पड़ा भरपूर मुरारी

ढूँढ़ रहे शमशान यहाँ, मृतदेह पड़ा भरपूर मुरारी।
स्वर्ग सिधार गयी करुणा, अब व्यस्त सभी निज में नर-नारी।
आफत देख सुयोग लखे, मन से मनु हीन हुआ कुविचारी।
नात सखा सब दूर हुए, बस लाभ हि लाभ लखे अतिचारी।।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’

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