ढीले मंसूबे
ढीले मंसूबे ले कर के , कार्य करोगे ।
तो असफलता की राहों पर पाँव धरोगे ।।
देंगे मूर्ख सलाह, कहाँ तक विजय मिलेगी ।
जीवन की बगिया पुष्पित हो कहाँ खिलेगी ।।
थतर- मतर होगी सारी, रणनीति तुम्हारी ।
और अंत तक मची रहेगी मारा मारी ।।
दोष मढ़ोगे किस्मत और समय के ऊपर।
क्या ऐंसे विचरण करता है कोई भू पर ?
– सतीश शर्मा, सिहोरा
नरसिंहपुर