ढिग धर बोए गए जवारे /
लीपे गए
आज घर सारे,
ढिग धर बोए
गए जवारे ।
माँ के आने
की उत्कंठा ।
बजने लगीं
घंटियाँ,घंटा ।
जाग गई हैं
सुगर नारियाँ,
गाती जातीं
मधुर गारियाँ ।
जल ढारन को
बड़े सकारे ।
दारू बाले
संत बन गए ।
लबरे सब
महंत बन गए ।
लगा हुआ
भक्तों का मजमा,
भाव खेलते
देते चकमा ।
मढ़ के भीतर,
मढ़ के द्वारे ।
सुगर मनचले
भगतें गाते,
सुंदर बाला
देख रिझाते ।
पूजन होता,
अर्चन होता ।
पाखण्डी का
नर्तन होता ।
फसे जाल में
कुछ बेचारे ।
— ईश्वर दयाल गोस्वामी ।