डॉ.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ की तेवरी
तेवरी काव्य
डॉ.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ की तेवरी :
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हमने सब कुछ हारा मितवा.
जग ने जैम कर मारा मितवा.
घूम-घूम कर दुनिया देखि,
घर है सबसे प्यारा मितवा.
बहुतों ने सब कुछ दे डाला ,
अपनों सा न दुलारा मितवा.
मिलजुल रह रुखी-सुखी खा,
कभी न हो बटवारा मितवा .
पेड़ लगाओ -पेड़ बचाओ
नहीं चलाना आरा मितवा.
पटे न बेशक अपनों से पर,
अपना सबसे न्यारा मितवा.
‘सहज’ मनुज को बिकते देखा,
हमने मगर नाकारा मितवा.
@डॉ.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
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