Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Mar 2018 · 3 min read

डॉ भगवान दास माहौर

देश की स्वतन्त्रता के लिए अपना सर्वस्व दाँव पर लगाने वाले डा. भगवानदास माहौर का जन्म 27 फरवरी, 1909 को ग्राम बडौनी (दतिया, मध्य प्रदेश) में हआ था। प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में पूरी कर ये झाँसी आ गये। यहाँ चन्द्रशेखर आजाद के सम्पर्क में आकर 17 वर्ष की अवस्था में ही इन्होंने क्रान्तिपथ स्वीकार कर लिया।

भगवानदास की परीक्षा लेने के लिए आजाद और शचीन्द्रनाथ बख्शी ने एक नाटक किया। ये दोनों कुछ नये साथियों को पिस्तौल भरना सिखा रहे थे। उसकी नली भगवानदास की ओर थी। बख्शी जी ने कहा – देखो गोली ऐसे चलाते हैं।

तभी आजाद ने बख्शी जी का हाथ ऊपर उठा दिया। गोली छत पर जा लगी। बख्शी जी ने घबराहट का अभिनय किया। आजाद ने तब भगवानदास के दिल की धड़कन देखी। वह बिल्कुल सामान्य थी। आजाद समझ गये कि दल के लिए ऐसा ही साहसी व्यक्ति चाहिए।

कक्षा 12 की परीक्षा उत्तीर्ण कर उन्होंने आजाद की सलाह पर ग्वालियर के विक्टोरिया काॅलेज में प्रवेश ले लिया और छात्रावास में रहने लगे; पर जब वहाँ आने वाले क्रान्तिकारियों की संख्या बहुत बढ़ने लगी, तो उन्होंने ‘चन्द्रबदनी का नाका’ मोहल्ले में एक कमरा किराये पर ले लिया।

जब लाहौर में सांडर्स को मारने का निर्णय हो गया, तो आजाद ने उन्हें भी वहाँ बुला लिया। उन और विजय कुमार सिन्हा पर यह जिम्मेदारी थी कि यदि सांडर्स भगतसिंह आदि के हाथ से बच जाए, तो ये दोनों उसे निबटा देंगे।

एक बार आजाद ने भगवानदास और सदाशिव मलकापुरकर के हाथ एक पेटी हथियार राजगुरु के पास अकोला भेजे। भुसावल पर उन्हें गाड़ी बदलनी थी। वहाँ आबकारी अधिकारी ने वह पेटी खुलवा ली। इस पर दोनों वहाँ से भागे; पर पकड़ लिये गये। जेल में डालकर जलगाँव में उन पर मुकदमा चलने लगा।

21 फरवरी को उनके विरुद्ध गवाही देने के लिए मुखबिर जयगोपाल और फणीन्द्र घोष आने वाले थे। इन्होंने सोचा कि इन दोनों को यदि वहाँ गोली मार दें, तो फिर कोई मुखबिरी नहीं करेगा। इन्होंने अपने वकील द्वारा चन्द्रशेखर आजाद को सन्देश भेजा। आजाद ने सदाशिव के बड़े भाई शंकरराव के हाथ 20 फरवरी की शाम को भात के कटोरे में एक भरी हुई पिस्तौल भेज दी। यह बड़े खतरे का काम था। 21 फरवरी को उन्हें न्यायालय में गोली चलाने का अवसर नहीं मिला; पर जब भोजनावकाश में दोनों मुखबिर खाना खा रहे थे, तो भगवानदास ने गोली चला दी।

पहली गोली पुलिस अधिकारी नानकशाह को लगी। दोनों मुखबिर डर कर मेज के नीचे छिप गये। इस कारण वे अगली दो गोलियों से घायल तो हुए; पर मरे नहीं। इधर तीन गोली चलाने के बाद पिस्तौल जाम हो गयी। इस मुकदमे में उन्हें आजीवन कारावास दिया गया। 1938 में जब कांग्रेसी मन्त्रिमंडलों की स्थापना हुई, तो आठ साल की सजा के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। इसके बाद भी वे कई आन्दोलनों में जेल गये। उन्होंने अपनी पढ़ाई भी प्रारम्भ कर दी। ‘1857 के स्वाधीनता संग्राम का हिन्दी साहित्य पर प्रभाव’ विषय पर उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से पी.एच-डी. की।

इसके बाद ये प्राध्यापक हो गये। बुन्देलखण्ड के साहित्य पर शोध के लिए झाँसी विश्वविद्यालय ने इन्हें डी.लिट. की उपाधि दी। डा. भगवानदास की इच्छा गीत गाते हुए फाँसी का फन्दा चूमने की थी; पर यह पूरी नहीं हो पायी। 12 मार्च, 1979 को लखनऊ में उनका देहान्त हुआ।

Language: Hindi
Tag: लेख
1580 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
विश्व की पांचवीं बडी अर्थव्यवस्था
विश्व की पांचवीं बडी अर्थव्यवस्था
Mahender Singh
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
नव वर्ष गीत
नव वर्ष गीत
Dr. Rajeev Jain
अंहकार
अंहकार
Neeraj Agarwal
ईश्वर का
ईश्वर का "ह्यूमर" - "श्मशान वैराग्य"
Atul "Krishn"
.
.
*प्रणय*
राज़ की बात
राज़ की बात
Shaily
सीने पर थीं पुस्तकें, नैना रंग हजार।
सीने पर थीं पुस्तकें, नैना रंग हजार।
Suryakant Dwivedi
सोच का अंतर
सोच का अंतर
मधुसूदन गौतम
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*चलें साध कर यम-नियमों को, तुम्हें राम जी पाऍं (गीत)*
*चलें साध कर यम-नियमों को, तुम्हें राम जी पाऍं (गीत)*
Ravi Prakash
अधूरी रह जाती दस्तान ए इश्क मेरी
अधूरी रह जाती दस्तान ए इश्क मेरी
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मिलेंगे इक रोज तसल्ली से हम दोनों
मिलेंगे इक रोज तसल्ली से हम दोनों
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मनवा मन की कब सुने, करता इच्छित काम ।
मनवा मन की कब सुने, करता इच्छित काम ।
sushil sarna
जिंदगी का सफर है सुहाना, हर पल को जीते रहना। चाहे रिश्ते हो
जिंदगी का सफर है सुहाना, हर पल को जीते रहना। चाहे रिश्ते हो
पूर्वार्थ
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
Adha's quote
Adha's quote
Adha Deshwal
*** चल अकेला.....!!! ***
*** चल अकेला.....!!! ***
VEDANTA PATEL
मोबाइल
मोबाइल
Punam Pande
3586.💐 *पूर्णिका* 💐
3586.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Agar tum Ladka hoti to Khush Rah paati kya?....
Agar tum Ladka hoti to Khush Rah paati kya?....
HEBA
आज का इंसान खुद के दुख से नहीं
आज का इंसान खुद के दुख से नहीं
Ranjeet kumar patre
तेरे ख़्याल में हूं
तेरे ख़्याल में हूं
Dr fauzia Naseem shad
जो धनी हैं वे धनी बनते जा रहे हैं,
जो धनी हैं वे धनी बनते जा रहे हैं,
Ajit Kumar "Karn"
"हार्ड वर्क"
Dr. Kishan tandon kranti
शाकाहारी बने
शाकाहारी बने
Sanjay ' शून्य'
हाथ की उंगली😭
हाथ की उंगली😭
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मामले के फ़ैसले अदालत में करने से बेहतर है की आप अपने ही विर
मामले के फ़ैसले अदालत में करने से बेहतर है की आप अपने ही विर
Rj Anand Prajapati
सत्य खोज लिया है जब
सत्य खोज लिया है जब
Buddha Prakash
मां का महत्त्व
मां का महत्त्व
Mangilal 713
Loading...