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24 May 2024 · 1 min read

डॉ अरूण कुमार शास्त्री

डॉ अरूण कुमार शास्त्री
पीता भी हूं और पिलाता भी हूं मेरे कद का मिल जाए कोई तो गले से लगाता भी हूं।
तुम तो खामख्वाह ही मुझसे खफ़ा हो गए जानू , दोस्त बन के साथ निभाता भी हूं।

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