सुशांत देश (पंचचामर छंद)
सुशांत देश (पंचचामर छंद)
रचा करो सुशांत प्रांत भ्रांत तर्क छोड़ दो।
सुतर्क बुद्धि साधना विवेक स्वर्ग जोड़ दो।
मरोड़ ग्लानि तोड़ द्वेष दर्प भेद त्याग दो।
अनेक में अनन्त हेतु शून्य अंक भाग दो।
प्रशांत हिंद देश का करो सदैव कामना।
टपक बहे अमी सुधा यही सुबोध याचना।
भरत मिलाप हो सदा जगत बने सहोदरम।
सुनीति प्रीति रीति से बने सुगीति सुंदरम।
कुटिल दनुज अधर्म पाप मोह वासना जरे।
सदा उपासना करे मनुज सुधारणा धरे।
पवित्र मन विचारवान स्नेह विश्व में भरे।
तथा रहे न देहवाद शोषणीयता मरे।
साहित्यकार: डॉक्टर रामबली मिश्र वाराणसी