डीह बाबा से विजया के अर्जी
मऊर बताईं कब चढ़ी हमरे कपार पे
लागल बाटी शादी खातिर कबसे कतार में
अगुआ से कहत – कहत जान हमार जाता
दूसरा के का बुझाई जवन हमका बुझाता
शादी के कवनो योजना चलवा दीं सरकार से
मऊर बताईं कब चढ़ी हमरे कपार पे
रतिया के नींद अब हमके न आवत बा
हमके अपने भविष्य के चिंता सतावत बा
का होइ अब हमरे सपना के संसार के
मऊर बताईं कब चढ़ी हमरे कपार पे
गाँव के सब लोगन पे किरपा ते राउर बा
बताईं न ये बाबा ई विजया काहे बाउर बा
हमके काहे छोड़ देत बाटी मझधार में
मऊर बताईं कब चढ़ी हमरे कपार पे
माई हमार झुमका बड़ा सुंदर बनववले बा
लगनिया में बुकवा से हमके चमकवले बा
असरा बा बरदेखुआ अइहें हमरो दुआर पे
मऊर बताईं कब चढ़ी हमरे कपार पे
गाढ़ी कमईया से नकबुल्ला बनववले बाटी
झोरा में रखले बाटी सबसे छुपवले बाटी
सिल्क वाला लुग्गा हमहूँ लइलीं बाजार से
मऊर बताईं कब चढ़ी हमरे कपार पे
फेरा केहू के लेत देख आवत बोखार बा
का कहीं हमार भाग लागत न चोखार बा
हमहू के दर्शन अब करवा दी ससुरार के
मऊर बताईं कब चढ़ी हमरे कपार पे
-सिद्धार्थ गोरखपुरी