डीजे
डीजे
जग्गू बहुत ही ऊहापोह की स्थिति में फँस गया था। वह हफ्तेभर पहले से ही दुर्गोत्सव की तैयारी में लगा हुआ था। आज जब विसर्जन के लिए रवाना हो ही रहे थे कि अचानक जग्गू की पत्नी की प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। कानफोड़ू डीजे और लाउड स्पीकर की तेज आवाज से उसका सिर फटा जा रहा था।
डॉक्टर साहिबा ने डिलीवरी के लिए जो डेट बताया था, उससे पंद्रह दिन पहले ही यू अचानक दर्द… पर अब सोचने का समय नहीं था… उसे तुरंत पत्नी को लेकर तुरंत हॉस्पिटल पहुँचना होगा… पर पहुँचेगा कैसे… आज विसर्जन के दिन… लगभग सारे रास्ते जाम होंगे या फिर वन वे होंगे… ऐसी स्थिति में हॉस्पिटल ले जाने के लिए एम्बुलेंस उसके मुहल्ले तक पहुँचेगा कैसे… यदि किसी तरह पहुँच भी गया, तो फिर पत्नी को फिर से हॉस्पिटल तक पहुँचने में न जाने कितना समय लग जाएगा…।
आज जब खुद पर बीती, तो उसे समझ में आ रहा था कि वह अब तक हर बार गणेशोत्सव, दुर्गोत्सव, वसंतोत्सव आदि के समय न जाने कितने लोगों की जान साँसत में डाल चुका था।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़