” डिजिटल मित्रता “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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प्रायः – प्रायः हमरालोकनि आन क्षेत्र मे किया नहि पछुआएल रहि.. परञ्च मित्र केँ फ्रेंड रिक्वेस्ट आ रिक्वेस्ट केँ स्वीकारक हेतु हम सामर्थवान बनि जाइत छी ! हम कोनो अवस्था मे किया नहि रहि ?…..एहि काल मे हम धनुर्धारी बनि जाइत छी !……. गांडीव सँ तीर निकालि धनुष पर प्रतंच्या चढ़ा …..दसो दिशा दिश प्रहार क दैत छियनि ……..कियो न कियो आहत हेताह …..आ हमर मित्रता केँ स्वीकार करताह ! …….
मोबाइल आब हमर अस्त्र अछि….. शस्त्र अछि ! जाधरि सूतल छी …ताधरि हिनको अवकाश छैन्हि ……नींद खुजल गांडीव धनुष उठा प्रतंच्या चढ़ा बाथरूम चलि गेलहुँ ……भोजनो काल टीप -टीप करैत रहलहुँ ……ऑफिस मे बैसल छी काज सब छोड़ि नव -नव मित्रक दर्शन केलहुँ। ……….आ प्रारम्भ केलहुँ फ्रेंड रिक्वेस्ट पठबयला ……!
प्रतिद्वंदिता क आंच सब दिश पसरल अछि। …….हम किनको सँ पाछू किया रहब ?……घूर तपैत जाऊ ……अखन धधरा उठल अछि ……पझेने सब शांत भ जाइत !……….
मित्रता ….
विचारक समानता ………
आपसी सहयोगीता ………
गोपनीयता …….
आ यदा कदा मिलनक ……..आधारशिला पर ठाढ़ अछि !………
शिष्टाचार ……
सौहार्द ……
शालीनता एकर शृंगार मानल गेल अछि !……….
मुदा एहि “डिजिटल मित्रक सैन्य संगठन” मे दीप ल क’ ताकब तथापि कतो नहि भेटत एहि परिवेश मे मित्राताक आधारशिला आ शृंगारक परिधान ! …यदि मात्र विचारक आदान -प्रदान शालीनता भरल भेटय त बुझू हम सफल योद्धा भेलहूँ !
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डॉ लक्ष्मण झा
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका