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11 Nov 2018 · 1 min read

डाॅ०श्री रंजन सुरिदेव जी को नमन

करता हूँ अर्पण स्नेहसुमन।
करके मन से स्मरण।।
शोक संलिप्त है आज पुन:साहित्य लोक।
देखकर यह महाप्रयाण को परलोक।।
आज हो गये जो फिर से विलोपित।
काल ने कर लिया जो एक ओर ज्ञानतारा ग्रसित ।।

Language: Hindi
221 Views
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