डायरी
डायरी (दोहे)
प्रति दिन भरता डायरी,लिखता सारी बात।
दिन की घटना संकलन,को लिखता हूँ रात।।
धीरे धीरे संकलन,का दिखता भण्डार।
आत्म शोध का स्रोत यह,सामाजिक आकार।।
सभी पक्ष हैं सम्मिलित,बहु आयामी तथ्य।
प्रेम घृणा संघर्ष का,यह है मौलिक कथ्य।।
निज वैयक्तिक अध्ययन,का है यह आधार।
मिल जाये यदि डायरी,तो करना सत्कार।।
यही प्राथमिक आंकड़ा,देता है निष्कर्ष।
सच्चे जीवन वृत्त का,इसमें है आकर्ष।।
जीवन और समाज का,यह असली प्रारूप।
इसमें शीतलता भरी,कटु वर्षा अति धूप।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।