डायरी से मुलाकात
एक दिन मेरी मुलाकात डायरी से हो गई ।
मेरी मुलाकात शायरी से हो गई ।
लब्ज शलीका नहीं है शायर सी
फिर भी बात कहने की रीति हो गई ।
जाने कब काव्य से प्रीति हो गई ।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र ‘विप्र ‘
एक दिन मेरी मुलाकात डायरी से हो गई ।
मेरी मुलाकात शायरी से हो गई ।
लब्ज शलीका नहीं है शायर सी
फिर भी बात कहने की रीति हो गई ।
जाने कब काव्य से प्रीति हो गई ।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र ‘विप्र ‘