Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jul 2020 · 1 min read

डर डर, निडर निडर ।

डर डर, निडर निडर ।
डगर डगर, डर डर ।।

जब डर डर, डगर डगर ।
चिंताएं, निडर निडर ।।

कर कर घर, डर पर डर l
डगर डगर, अगर मगर ll

अरविंद व्यास “प्यास”

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 469 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दुःख बांटू तो लोग हँसते हैं ,
दुःख बांटू तो लोग हँसते हैं ,
Uttirna Dhar
धोखेबाजी का दौर है साहब
धोखेबाजी का दौर है साहब
Ranjeet kumar patre
पत्थर (कविता)
पत्थर (कविता)
Pankaj Bindas
इस नदी की जवानी गिरवी है
इस नदी की जवानी गिरवी है
Sandeep Thakur
कर सकता नहीं ईश्वर भी, माँ की ममता से समता।
कर सकता नहीं ईश्वर भी, माँ की ममता से समता।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*धन व्यर्थ जो छोड़ के घर-आँगन(घनाक्षरी)*
*धन व्यर्थ जो छोड़ के घर-आँगन(घनाक्षरी)*
Ravi Prakash
अपनी समझ और सूझबूझ से,
अपनी समझ और सूझबूझ से,
आचार्य वृन्दान्त
अपराजिता
अपराजिता
Shashi Mahajan
ये फुर्कत का आलम भी देखिए,
ये फुर्कत का आलम भी देखिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"परिवर्तनशीलता"
Dr. Kishan tandon kranti
सदैव मेहनत करके ही आगे बढ़ें,
सदैव मेहनत करके ही आगे बढ़ें,
Ajit Kumar "Karn"
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
इशरत हिदायत ख़ान
“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना
“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना
Dr Mukesh 'Aseemit'
अवचेतन और अचेतन दोनों से लड़ना नहीं है बस चेतना की उपस्थिति
अवचेतन और अचेतन दोनों से लड़ना नहीं है बस चेतना की उपस्थिति
Ravikesh Jha
प्रीत
प्रीत
Mahesh Tiwari 'Ayan'
जब कोई शब् मेहरबाँ होती है ।
जब कोई शब् मेहरबाँ होती है ।
sushil sarna
अनुप्रास अलंकार
अनुप्रास अलंकार
नूरफातिमा खातून नूरी
Dead 🌹
Dead 🌹
Sampada
The smile of love
The smile of love
Otteri Selvakumar
कहते हैं  की चाय की चुस्कियो के साथ तमाम समस्या दूर हो जाती
कहते हैं की चाय की चुस्कियो के साथ तमाम समस्या दूर हो जाती
Ashwini sharma
अब तू किसे दोष देती है
अब तू किसे दोष देती है
gurudeenverma198
कहते हैं
कहते हैं
हिमांशु Kulshrestha
झरोखा
झरोखा
Sandeep Pande
आविष्कार एक स्वर्णिम अवसर की तलाश है।
आविष्कार एक स्वर्णिम अवसर की तलाश है।
Rj Anand Prajapati
तमन्ना है तू।
तमन्ना है तू।
Taj Mohammad
त्वमेव जयते
त्वमेव जयते
DR ARUN KUMAR SHASTRI
3113.*पूर्णिका*
3113.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
फूल
फूल
डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि'
जब हम सोचते हैं कि हमने कुछ सार्थक किया है तो हमें खुद पर गर
जब हम सोचते हैं कि हमने कुछ सार्थक किया है तो हमें खुद पर गर
ललकार भारद्वाज
तेरे जन्म दिवस पर सजनी
तेरे जन्म दिवस पर सजनी
Satish Srijan
Loading...