डराने को आई है _ घनाक्षरी
एक बार फिर से तो रूप नया धर कर।
बीमारी तो भाई मेरे डराने को आई है।।
रहना सजग हमें कहना सभी से तुम।।
गम न दे जाए कहीं डराने को आई है।।
दूरी फिर से बढ़ा ले मास्क अपने उठा ले।
बचे भीड़-भाड़ से भी डराने को आई है।।
गलतियां पिछड़ी दोहराना नहीं हमको ।
बचना बचाना हमें डराने को आई है।।
राजेश व्यास अनुनय