डमरू वर्ण पिरामिड
डमरू वर्ण पिरामिड
कभी नही कहना
कल कल कल
अब उत्सव
दिन आया
मिलना
अब
है
आ
कर
मस्ती दो
लेना भी है
महफ़िल को
खूब सजाना है
हृदय में आना है।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
डमरू वर्ण पिरामिड
कभी नही कहना
कल कल कल
अब उत्सव
दिन आया
मिलना
अब
है
आ
कर
मस्ती दो
लेना भी है
महफ़िल को
खूब सजाना है
हृदय में आना है।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।