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7 Feb 2019 · 1 min read

डमरू घनाक्षरी

डमरू घनाक्षरी

गरज गरज कर
बरस चपल घन,
तड़प उठत अब
सकल जगत मन।

पग पग पल पल
लगत अगन यह
बढ़त चलत अब
जलत रहत मन।

सन सन सन सन
चलत पवन यह
खगदल सम अब
मचल उठत मन।

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