*डमरू-घनाक्षरी*
(३२ वर्ण लघु बिना मात्रा के ८,८,८,८ पर यति प्रत्येक चरण में )
(१)
नभ गरजत जल, छम छम बरसत,
टप टप पड़ पड़, जल भर घर तर।
बरबस जल अब, छत पर टपकत ,
चलत न पग सब, डग पर तम भर।।
(२)
भगवत जप कर, रब सब तम हर,
चलत न रब सह, अब कर पकड़त।
सब जन कह अब, करत रब नमन,
तन मन पर अब,
रब चरण पड़त।।
रंजना माथुर
दिनांक 18/04/2018
जयपुर (राजस्थान)
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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