डमरू घनाक्षरी
डमरू घनाक्षरी
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चमक दमक मत ,
सत कर अवगत,
छल बल मत कर,
घर कर हर मन।
वचन अटल कह,
भजन मगन रह,
हरदम रब भज,
सरल हृदय बन।।
गलत करम तज,
दहन सकल कज ,
चमक कनक सम,
बन मलय पवन।
सरस वचन कर,
जनम सफल कर,
तज कर भय सब,
नव कर चल जन।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’