ठोकरें खाये हैं जितना
ठोकरें खाये हैं जितना उतने मुस्कुराये हैं
अश्कों के लाख मोती इन पलकों में छिपाये हैं
हालातों के समंदर मे कभी जो ये दिल डूबा
बड़ी जिंदादिली से खामोश होठोँ ने गुनगुनाये हैं
हादसों की भीड़ तो हर जिंदगी के साथ है
हैं वो बुजदिल हादसों के आगे जो सर झुकाये हैं
M.Tiwari”Ayan”