ठोकरें खाई परेशानियां आई ___शेर
“परिश्रम ” से दोस्ती कर सफर में निकल पड़ा।
मिलेगी मंजिल मुझे इसी आस में चल पड़ा।
कहीं ठोकरें खाई परेशानियां भी बहुत आई।
सब को हराकर आज मंजिल पर हूं मैं खड़ा ।।
राजेश व्यास अनुनय
“परिश्रम ” से दोस्ती कर सफर में निकल पड़ा।
मिलेगी मंजिल मुझे इसी आस में चल पड़ा।
कहीं ठोकरें खाई परेशानियां भी बहुत आई।
सब को हराकर आज मंजिल पर हूं मैं खड़ा ।।
राजेश व्यास अनुनय