ठाट-बाट
मुक्तक
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साथ अमीरी के आने से, ठाठ बाट बढ़ जाते।
सुख सुविधा का लाभ उठाकर, फूले नहीं समाते।
किन्तु संयमित जीवन सबसे, श्रेष्ठ हुआ करता है।
तन मन स्वस्थ रहा करता है, रोग कभी न सताते।
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बहुत निराले ठाठ-बाट हैं, सबको भी दिखलाते।
नयी चाहते लेकर नभ में, उड़ते नहीं अघाते।
ऐसे लोगों का समाज को, लाभ नहीं हो पाता।
केवल खुद की खातिर जीते, और विदा हो जाते।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०८/०६/२०२४