ठण्डी दोहा एकादशी
ठण्डी में पारा गिरा, पहुँचा एक इकाय
बैठ रजाई सोचते, कौनो नहीं उपाय // 1. //
ठण्डी का है तोड़ यह, जप ॐ नमो शिवाय
अग्नि देव की शरण ले, उत्तम यही उपाय // 2. //
भोग रही है ठण्ड में, निर्धनता अभिशाप
जड़े तमाचा सेठ जी, बोले रस्ता नाप // 3. //
ए.सी. हीटर छोड़कर, नेता बाहर देख
खींच रहे हैं ठण्ड में, निर्धनता की रेख // 4. //
कितने मारे ठण्ड ने, मेरे शम्भूनाथ
उत्तर सभ्य समाज से, मांग रहा फुटपाथ // 5. //
शीत लहर चलने लगी, मरे ठिठुरते लोग
धनवान मौज से करे, सारे छप्पन भोग // 6. //
घीसू माधव सड़क पर, आग रहे हैं ताप
प्रेमचन्द के पात्र हम, भोग रहे सन्ताप // 7. //
प्रेमचन्द के पात्र बन, उतरे सभी किसान
सर्द सड़क सिकुड़ा पड़ा, होरी का गोदान // 8. //
गर्मी में लू से मरे, मरे शीत से लोग
बारिश मारे बाढ़ में, विचित्र विधि संजोग // 9. //
आया मौसम ठण्ड का, सुन्दर लागे धूप
गरमी का जब वेग था, लागे धूप कुरूप // 10. //
स्नान करे जो ठण्ड में, वो जन बड़े महान
ठण्डा पानी काल सम, हर ले तुरन्त प्रान // 11. //
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