Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jan 2021 · 1 min read

ठंड

ये जो ठंडी ठंडी हवा है
ये तो जाड़े के मौसम की रवा है
अब और कुछ ना पूछो यारों
बस रजाई ही इसकी दवा है

Language: Hindi
Tag: शेर
3 Likes · 353 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all
You may also like:
अंधेरे का रिसाव
अंधेरे का रिसाव
Kshma Urmila
भूल जाती हूँ खुद को! जब तुम...
भूल जाती हूँ खुद को! जब तुम...
शिवम "सहज"
*अहम ब्रह्मास्मि*
*अहम ब्रह्मास्मि*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अदब और अदा में बड़ा अंतर होता है हुज़ूर,
अदब और अदा में बड़ा अंतर होता है हुज़ूर,
Anand Kumar
बचपन मेरा..!
बचपन मेरा..!
भवेश
*थोड़ा-थोड़ा दाग लगा है, सब की चुनरी में (हिंदी गजल)
*थोड़ा-थोड़ा दाग लगा है, सब की चुनरी में (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
!! मेरी विवशता !!
!! मेरी विवशता !!
Akash Yadav
* मिट जाएंगे फासले *
* मिट जाएंगे फासले *
surenderpal vaidya
कोई तो है जो मुझे झरोखे से झांकता है,
कोई तो है जो मुझे झरोखे से झांकता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्यार की कलियुगी परिभाषा
प्यार की कलियुगी परिभाषा
Mamta Singh Devaa
3530.🌷 *पूर्णिका*🌷
3530.🌷 *पूर्णिका*🌷
Dr.Khedu Bharti
लाख़ ज़ख्म हो दिल में,
लाख़ ज़ख्म हो दिल में,
पूर्वार्थ
■ प्रयोगात्मक कवित-
■ प्रयोगात्मक कवित-
*प्रणय*
మగువ ఓ మగువా నీకు లేదా ఓ చేరువ..
మగువ ఓ మగువా నీకు లేదా ఓ చేరువ..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
अगर दुनिया में लाये हो तो कुछ अरमान भी देना।
अगर दुनिया में लाये हो तो कुछ अरमान भी देना।
Rajendra Kushwaha
तस्सुवर की दुनिया
तस्सुवर की दुनिया
Surinder blackpen
" कश्ती रूठ गई है मुझसे अब किनारे का क्या
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
इश्क़ और इंकलाब
इश्क़ और इंकलाब
Shekhar Chandra Mitra
मुद्दतों से तेरी आदत नहीं रही मुझको
मुद्दतों से तेरी आदत नहीं रही मुझको
Shweta Soni
खुद को खुद से मिलाना है,
खुद को खुद से मिलाना है,
Bindesh kumar jha
* श्री ज्ञानदायिनी स्तुति *
* श्री ज्ञानदायिनी स्तुति *
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
ঐটা সত্য
ঐটা সত্য
Otteri Selvakumar
अक्सर समय बदलने पर
अक्सर समय बदलने पर
शेखर सिंह
फूल का शाख़ पे आना भी बुरा लगता है
फूल का शाख़ पे आना भी बुरा लगता है
Rituraj shivem verma
मैं भविष्य की चिंता में अपना वर्तमान नष्ट नहीं करता क्योंकि
मैं भविष्य की चिंता में अपना वर्तमान नष्ट नहीं करता क्योंकि
Rj Anand Prajapati
हमारे रक्षक
हमारे रक्षक
करन ''केसरा''
79kingpress
79kingpress
79kingpress
"हुनर बिछड़ने का"
Dr. Kishan tandon kranti
ना तुझ में है, ना मुझ में है
ना तुझ में है, ना मुझ में है
Krishna Manshi
Loading...