” ठंडक “
ओहो ! नीरा तुम अपने कुत्ते को चेन से बाँधों… तुम्हें तो पता है की मुझे इसके बालों से ऐलैर्जी है मेरी तो सुन ही नही रहा है ।
” अरे वो हिंदी नही समझता है ना इसिलिये । ”
” गीता का कलेजा सुलग उठा…मन ही मन बुदबुदाई ‘ हिंदी नही समझता है बड़ा आया । ”
तभी नीरा के समधी/समधन आ गये….अचानक कैसे आना हुआ भाभी जी सब ख़ैरियत ?
इतनी बड़ी ख़ुशख़बरी जो है वही सुनाने आये हैं समधन ने मिठाई का डिब्बा निकालते हुये कहा ।
ख़ुशख़बरी ? नीरा ने आश्चर्य से पूछा….आपके दामाद ने इंजिनियरिंग में टॉपर जो किया है समधन की ख़ुशी संभाले नही सँभल रही थी ।
” टॉपर किया है ” यह सुनने के बाद गीता के बग़ल में बैठा व्यक्ति भी उसके सुलगते कलेजे की ठंडक को महसूस कर सकता था । ”
गीता मन ही मन बुदबुदाई ‘” हुंह कुत्ता अंग्रेज़ी समझता है ” ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 16/08/2021 )