Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2022 · 3 min read

ट्रस्टीशिप की भावना और सी.एस.आर. की योजना

ट्रस्टीशिप की भावना और सी.एस.आर. की योजना
===========================
सीएसआर अर्थात कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी अर्थात कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी । जिन कंपनियों की आमदनी प्रतिवर्ष पाँच करोड़ रुपये से अधिक है ,उन पर 2% की दर से सामाजिक कार्यों में धन खर्च करने की जिम्मेदारी सरकार ने सौंपी है ।
यह एक बहुत ही प्रशंसनीय कदम है और इसकी जितनी सराहना की जाए कम है। उद्योगपतियों को सी एस आर के माध्यम से समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है । केवल 2% खर्च करना पर्याप्त नहीं है। मंशा यह नहीं है कि उद्योगपति 2% टैक्स समझ कर खर्च करें । मंशा यह है कि उद्योगपति अपनी आमदनी का 2% हिस्सा सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना से समाज के ऊपर खर्च करें । वह महसूस करें कि समाज में कितना पिछड़ापन है, लोगों में सार्वजनिक ढांचे को मजबूत बनाने के लिए कितनी अधिक धनराशि की आवश्यकता है। गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में भारी कमी देश में सब जगह देखने में आती है । उद्योगपति तो समृद्ध होते हैं। वे महलनुमा कोठियों में रहते हैं । उन्हें धन की कमी का कोई एहसास नहीं होता। लेकिन यह 2% धनराशि सीएसआर के रूप में खर्च करने की अनिवार्यता इसलिए लागू की गई ताकि उद्योगपतियों को महसूस हो कि उनके घर की चारदीवारी के बाहर मीलों दूर तक गरीबी का साम्राज्य और अभाव की स्थिति फैली हुई है ।उनके हृदय में यह भाव आए कि उनका धन केवल उनके लिए नहीं है बल्कि समाज के लिए है।
बस यहीं से सीएसआर की वास्तविक शिक्षा आरंभ हो जाती है। इनकम टैक्स की दर बढ़ा देते हैं ,तो यह जो सामाजिक जिम्मेदारी का भाव पैदा करने की बात है वह उत्पन्न नहीं होती। देखा जाए तो सरकार के पास जो इनकम टैक्स का पैसा पहुंचता है वह भी समाज के लिए ही खर्च होता है। लेकिन सीधे-सीधे उद्योगपति को यह एहसास करा देना कि उसका पैसा समाज के लिए उसके पास एक अमानत है ,यह एक बहुत बड़ा भाव बोध है। इसी को गांधी जी ने ट्रस्टीशिप का सिद्धांत कहा ।
यह कि उद्योगपति के पास जो उद्योग धंधा है, जो पूंजी है और उसका नफा होता है उसमें से अपनी जरूरत के मुताबिक पैसा वह अपने पास रखे और शेष धनराशि को समाज को वापस लौटा दे। वास्तव में समाज के सक्रिय योगदान से ही कोई व्यापारी और उद्योगपति धन कमाता है इस नाते वह समाज का ऋणी होता है और उस ऋण को सीएसआर के माध्यम से वापस लौटाना कर्तव्य का निर्वहन ही कहा जा सकता है ।
धीरे-धीरे सीएसआर की प्रतिशत हम दो से बढ़ाकर 50% तक ला सकते हैं और हमें लाना भी चाहिए। लेकिन इसके लिए इनकम टैक्स पूरी तरह समाप्त करना होगा और उद्योग पतियों की सामाजिक जिम्मेदारियों को सीधे-सीधे उनके द्वारा वहन करने की प्रवृत्ति समाज में जागृत हो सके ,इस दिशा में काम करना होगा। वर्तमान में जहां एक ओर सी एस आर के अंतर्गत बहुत उत्साहवर्धक कार्य हो रहे हैं ,वहीं दुर्भाग्य से कुछ उद्योगपति 2% सीएसआर की धनराशि भी खर्च नहीं करना चाहते और ईमानदारी से इस दिशा में काम करने में वह बाधक बने हुए हैं। यह प्रवृत्ति बदलनी होगी और उद्योगों को सामाजिक जिम्मेदारियों का अहसास कराना ही होगा।
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
लेखक: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश) मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
Tag: लेख
280 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

**देखेंगे हम तेरा राह कब तक**
**देखेंगे हम तेरा राह कब तक**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
किरदार हो या
किरदार हो या
Mahender Singh
बुंदेली दोहा - किरा (कीड़ा लगा हुआ खराब)
बुंदेली दोहा - किरा (कीड़ा लगा हुआ खराब)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कुछ खास शौक नही है मुझे जीने का।
कुछ खास शौक नही है मुझे जीने का।
Ashwini sharma
-भ्रम में जीता है आदमी -
-भ्रम में जीता है आदमी -
bharat gehlot
दादी माॅ॑ बहुत याद आई
दादी माॅ॑ बहुत याद आई
VINOD CHAUHAN
कैसा हो रामराज्य
कैसा हो रामराज्य
Rajesh Tiwari
मुक्तक 3
मुक्तक 3
SURYA PRAKASH SHARMA
कभी ख़ुशी कभी ग़म
कभी ख़ुशी कभी ग़म
Dr. Rajeev Jain
शहीदों का बलिदान
शहीदों का बलिदान
Sudhir srivastava
वज़ह सिर्फ तूम
वज़ह सिर्फ तूम
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
3206.*पूर्णिका*
3206.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*सात जन्म के लिए तुम्हारा, मिला साथ आभार (गीत)*
*सात जन्म के लिए तुम्हारा, मिला साथ आभार (गीत)*
Ravi Prakash
रंगीला बचपन
रंगीला बचपन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
खुद को महसूस
खुद को महसूस
Dr fauzia Naseem shad
एक ठंडी हवा का झोंका है बेटी: राकेश देवडे़ बिरसावादी
एक ठंडी हवा का झोंका है बेटी: राकेश देवडे़ बिरसावादी
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
शीतल शालीन प्रहार का दृष्टि दृष्टिकोण धैर्य धनपत का साहित्यिक प्रहार
शीतल शालीन प्रहार का दृष्टि दृष्टिकोण धैर्य धनपत का साहित्यिक प्रहार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
एक मेरे सिवा तुम सबका ज़िक्र करती हो,मुझे
एक मेरे सिवा तुम सबका ज़िक्र करती हो,मुझे
Keshav kishor Kumar
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
लक्ष्मी सिंह
कुत्ते का दर्द
कुत्ते का दर्द
Nitesh Shah
🌸 आने वाला वक़्त 🌸
🌸 आने वाला वक़्त 🌸
Mahima shukla
पिता
पिता
Nutan Das
साधना
साधना
Vandna Thakur
"क्लियोपेट्रा"
Dr. Kishan tandon kranti
रिश्ते भूल गये
रिश्ते भूल गये
पूर्वार्थ
देसी घी से टपकते
देसी घी से टपकते
Seema gupta,Alwar
श्रीराम
श्रीराम
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
हे मृत्यु...
हे मृत्यु...
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
करके याद तुझे बना रहा  हूँ  अपने मिजाज  को.....
करके याद तुझे बना रहा हूँ अपने मिजाज को.....
Rakesh Singh
हाँ देख रहा हूँ सीख रहा हूँ
हाँ देख रहा हूँ सीख रहा हूँ
विकास शुक्ल
Loading...