टूट कर फिर प्यार में बिखर सकते नहीं
टूट कर फिर प्यार में बिखर सकते नहीं
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टूट कर फिर प्यार में बिखर सकते नहीं,
यूं नजर तो में मगर हम उतर सकते नहीं|
कट गया तारीक में समय जो भी मिला,
और अब तो बदल यूं सहर सकते नहीं|
खौलता है खून भी नगर जब वो दिखे,
धंस गहरे इस कदर हैं निखर सकते नहीं|
चोट खाई प्रेम में बहुत ज्यादा असर,
साथ लहरों के सदा लहर सकते नहीं|
देख कर है छोड दी डगर मुश्किल बडी़,
यार मनसीरत पिला जहर सकते नहीं|
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)