टूटे ना नेहिया की तार
रुत आई बसंती बहार,
बयार बहुरंगी बहे।
देखो टूटे ना नेहिया की तार,
बयार बहुरंगी बहे।।
मह-मह महकेला,
फूल-फुलवरिया,
आसमान छाए काहे,
काली रे बदरिया।
मनवा बसन्त भइल,
पिरितिया में तोहरे,
कुहुक उठी रे हमरे,
मन की कोइलिया।।
बनल रहे सनेहिया हमार,
बयार बहुरंगी बहे।
देखो टूटे ना नेहिया की तार,
बयार बहुरंगी बहे।।
रुत आई बसंती बहार,
बयार बहुरंगी बहे।
देखो टूटे ना नेहिया की तार,
बयार बहुरंगी बहे।।1।।
चहक-चहक नाचे,
मन के मयूरवा,
रात भर चाँदनी,
निहारेला चकोरवा।
विरह में तोहरे,
जिनिगिया ई पतझड़,
हमरे जिनिगिया में,
तोहइँ अंजोरवा।।
अब तोहइँ बसन्त हमार,
बयार बहुरंगी बहे।
देखो टूटे ना नेहिया की तार,
बयार बहुरंगी बहे।।
रुत आई बसंती बहार,
बयार बहुरंगी बहे।
देखो टूटे ना नेहिया की तार,
बयार बहुरंगी बहे।।
@स्वरचित व मौलिक
शालिनी राय ‘डिम्पल’🖊️