टूटे दिल को लेकर भी अब जाऐं कहाँ
दोस्तों,
एक ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों के हवाले,,,!!
ग़ज़ल
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कर के वादा तुम्ही तो आऐ थे साहब,
सब लाऊँगा ये कसम खाऐ थे साहब।
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वादों से मुकरना तुम्हारा, क्या समझे,
पूरे करो ख़्वाब जो दिखाऐ थे साहब।
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यूँ तो हम पहले ही ठगे थे जालिमो से,
तुम फिर क्यों दिल बहलाऐ थे साहब।
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कुछ भी न कहते तुमको भी हम मगर,
दिल को जो विश्वास दिलाऐ थे साहब।
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टूटे दिल को लेकर भी अब जाऐंं कहाँ,
जिनको वादों से तेरे सजाऐ थे साहब।
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आँखे पत्थरा गई देखो मुझ “जैदि” की,
आँसू बह गये सारे जो बचाऐ थे साहब।
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शायर:-“जैदि”✒️
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”