टूटता है यकीन खुद पर से,
टूटता है यकीन खुद पर से,
कोई मौसम सा जब बदलता है।
कैसे पहुंचेगा एक मंज़िल पर ।
रास्ते बारह बदलता है ।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद
टूटता है यकीन खुद पर से,
कोई मौसम सा जब बदलता है।
कैसे पहुंचेगा एक मंज़िल पर ।
रास्ते बारह बदलता है ।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद