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27 Sep 2024 · 1 min read

टूटता है यकीन खुद पर से,

टूटता है यकीन खुद पर से,
कोई मौसम सा जब बदलता है।
कैसे पहुंचेगा एक मंज़िल पर ।
रास्ते बारह बदलता है ।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

1 Like · 57 Views
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