टीस
✒️?जीवन की पाठशाला ?️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जिंदगी एक बहती -बल खाती -मचलती नदिया की तरह है जो अपना रास्ता खुद बना लेती है …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जिंदगी में कैसा भी गलत से गलत दौर -समय आ जाये ,प्रयास निरंतर बल्कि और तीव्र गति से करते रहना चाहिए जिससे की बुरे वक़्त को भी आपकी जीतने की जिद का पता लग जाए और एक मोड़ पर कहीं वो भी थक कर चाय पीने बैठे और आपका रास्ता साफ़ ….,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की घर -परिवार तब तक नहीं टूटता तब तक की फैसले बड़ों के हाथ में होते हैं ,लेकिन जब फैसले घर का हर सदस्य लेने लग जाता है -हर कोई बड़ा बनने लग जाता है तो उस घर में संबंधों में दरारें बढ़ती ही जाती हैं …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की जब आप किसी इंसान से बेइंतेहा प्रेम करते हैं और वक़्त के करवट बदलते ही वो इंसान पूरी तरह आपसे केवल एक सामाजिक तौर पर नाम मात्रका रिश्ता रखने लग जाये तो यकीन मानिये दिल के इतने महीन टुकड़े होते हैं की …अश्क़ केवल आँखों तक आकर विराम ले लेते हैं …सीने का दर्द केवल एक टीस बन कर हर पल आपको कचोटता है ,और उस पर इन्तेहा ये की आपको एक झूटी हंसी के साथ हमेशा मुस्कराते रहना पड़ता है ….!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान